JAVA

Introduction of JAVA:- Java is a general purpose,Object-Oriented Programming Language (OOPS) , Developed by James Gosling at Sun Microsystems USA in 1995. Java is more secure and robust than C and C++. 
                         
    Java is a platform of Independent Language . Java Program do not access the Operating System directly. Java virtual machine (JVM) is used as an abstraction between the OS and The  Java Programs. This makes JAVA programs highly portable, a Java program can run on all supported platforms like WINDOWS, LINUX without any modification.
   
     The main purpose of Developing JAVA language is to control Consumer Electronics Devices. Like:- TVs ,VCRs, Toaster and such other electronics machine.

   On May 23rd, 1995 The JAVA environment was announced by Sun Microsystems.

   Java initially called Oak  after an Oak tree that stood outside Gosling's office and later renamed as Java because  'Oak' was a name already used by an Older Language.

 The name Java is taken from a list of random words and is based on the famous coffee bean of java island. It is not an acronym for "Just Another Vague Acronym".

Features of JAVA:-
  The inventor of JAVA wanted to design a language which could offer solutions to some of the problems encountered in modern programming.  They wanted the language to be not only RELIABLE, PORTABLE & DISTRIBUTED but also simple, Compact and interactive.
 Sun Microsystems officially describes JAVA with the following attributes:-

➨Compiled and Interpreted
➨Platform-Independent and Portable
➨Object-Oriented
➨Robust and Secure
➨Distributed
➨ Familiar Simple and Small
➨Multithreaded and Interactive
➨Dynamic and Extensible

Programming Language:- A programming language is an artificial language which is used to design instructions that are  executed by a particular Machine(computer) for performing some tasks .
Like:-Computation, Evaluation etc.



story of nissa


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This is me.

हम जब पहली बार , कोई एक गाँव को छोड कर दुसरी जगह या कोई शहर जाते  हैं तो एक अदभुत सी फिलींगस हमारे अंदर होती है, शायद एेसा ही कुछ मेरे साथ  भी हुआ! 
बात उन दीनों कि है , जब मैं अपने शहर को छोडकर प्लस टु के लिए दुसरे शहर आया था!  
मै बहुत शांत स्वभाव का  था 
यहाँ पे सब नये-नये लोग थे, सिवा मेरे भैया के,वो मेरे से एक साल बडे थे, 
हम दोनो एक भाई से ज्यादा एक दोस्त कि तरह थे, बात- बात में झगडा , 
बात- बात में हँसी! 
सब कुछ ठीक चल रही थी! 
फीर मेरे भैया ने ,एक दीन एक कंम्पयुटर इंसट्युट मैं मेरा एडमिसन करा दीये मैं रोज अपने सही टाईम से क्लास जाने लगा !एक दिन जब हम अपने कंप्युटर लैब में कीबोर्ड पे कुछ टाईप कर रहा था, तबी अचानक मेरे बगल में बैठी लडकी की आवाज आई ' दोनो हाथ से टाईप कीजिये ' मैंने उसे अनसुना कर दीया और पहले के जैसे हीं एक हाथ से टाईप करने लगा, फिर कुछ देर बाद वो दोबारा बोली ' मैं आपी को बोल रही हुं ,दोनो हाथ से टाईप कीजिये ' फीर मैं धीरे-धीरे दोनो हाथ से टाईप करने लगा ! 
उसने मुझसे जाने वक्त मेरा नाम पुछा , मैंने धीरे से अपना नाम बोला तभी वो बोल पडी 
क्या.... मैंने फीर अपना नाम बताया.! 
और हम अपने-अपने घर को चल दीये, हम दोनो का रास्ता अलग-अलग था! 
हम पुरे रास्ते उसके बारे में हीं सोचते आ रहें थे! फीर हम अपने घर पहुंच गये,तब भैया ने मेरे से पुछे आज आने में कोई दीक्कत तो नही ना हुई , मैंने कहा नहीं भैया, फीर हम दुसरे दीन का इंतजार करने लगे! 
धीरे-धीरे हम एक  दुसरे से बहुत अच्छे से घुल-मील गये! 
आपस में हम दोनों अपनी नोटबुक शेयर करने लगे,अचानक एक दीन मेरी तबियत खराब हो  गई  , और मैं क्लास एेटेंड नही कर पाया! 
जब मैं ठीक हो गया  तो एक दीन क्लास गया तभी वो मेरे पास आई और बोली 
आप दो दीनों से क्लास  क्युं नहीं  आये थे! 
तो मैैने अपना कारण बता दीया,और हीम्मत करके उसका नाम पुछा तो वो बोली,आपको नही पता?तो मैंने कहा नहीं फीर वो अपना नाम बता दी.,और जब क्लास में छुट्टी हुई तो मैंने उससे उसका नोटबुक माँग ली, पहले तो वो कुछ सोची फीर बोली , कल आयियेगा ना , मैंने धीरें से कहा हाँ, वो फीर बोल पडी पक्का आयियेगा ना , मैं सोच में पड गया की नोटबुक माँगकर कोई गलती तो नही कर दी, फीर वो बोली क्या हुआ , मैंने कहा यकीन नही है, वो कुछ नही बोली, जब मैं उसकी नोटबुक लेकर  जाने लगा, तो वो बोली  '' हाँ , यकीन है, शायद खुद से ज्यादा, और जोर-जोर से हंसने लगी! 
फीर एक दीन ना जाने क्युं , वो अचानक क्लास आना बंद कर दी , और कुछ दिन बाद हमारी कोर्स हीं खत्म हो गई! 
मेरे लिए उसकी बातें कभी खत्म ना होने वाली याद बनकर रह गई! 
मैं आज भी जब लेपटॉप या कंप्युटर चलाता हुँ तो  मुझे उसकी याद आती है,क्योकि मुझे उम्मीद है, कि इक-ना-इक दीन वो जरूर मिलेगी!