story of nissa


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This is me.

हम जब पहली बार , कोई एक गाँव को छोड कर दुसरी जगह या कोई शहर जाते  हैं तो एक अदभुत सी फिलींगस हमारे अंदर होती है, शायद एेसा ही कुछ मेरे साथ  भी हुआ! 
बात उन दीनों कि है , जब मैं अपने शहर को छोडकर प्लस टु के लिए दुसरे शहर आया था!  
मै बहुत शांत स्वभाव का  था 
यहाँ पे सब नये-नये लोग थे, सिवा मेरे भैया के,वो मेरे से एक साल बडे थे, 
हम दोनो एक भाई से ज्यादा एक दोस्त कि तरह थे, बात- बात में झगडा , 
बात- बात में हँसी! 
सब कुछ ठीक चल रही थी! 
फीर मेरे भैया ने ,एक दीन एक कंम्पयुटर इंसट्युट मैं मेरा एडमिसन करा दीये मैं रोज अपने सही टाईम से क्लास जाने लगा !एक दिन जब हम अपने कंप्युटर लैब में कीबोर्ड पे कुछ टाईप कर रहा था, तबी अचानक मेरे बगल में बैठी लडकी की आवाज आई ' दोनो हाथ से टाईप कीजिये ' मैंने उसे अनसुना कर दीया और पहले के जैसे हीं एक हाथ से टाईप करने लगा, फिर कुछ देर बाद वो दोबारा बोली ' मैं आपी को बोल रही हुं ,दोनो हाथ से टाईप कीजिये ' फीर मैं धीरे-धीरे दोनो हाथ से टाईप करने लगा ! 
उसने मुझसे जाने वक्त मेरा नाम पुछा , मैंने धीरे से अपना नाम बोला तभी वो बोल पडी 
क्या.... मैंने फीर अपना नाम बताया.! 
और हम अपने-अपने घर को चल दीये, हम दोनो का रास्ता अलग-अलग था! 
हम पुरे रास्ते उसके बारे में हीं सोचते आ रहें थे! फीर हम अपने घर पहुंच गये,तब भैया ने मेरे से पुछे आज आने में कोई दीक्कत तो नही ना हुई , मैंने कहा नहीं भैया, फीर हम दुसरे दीन का इंतजार करने लगे! 
धीरे-धीरे हम एक  दुसरे से बहुत अच्छे से घुल-मील गये! 
आपस में हम दोनों अपनी नोटबुक शेयर करने लगे,अचानक एक दीन मेरी तबियत खराब हो  गई  , और मैं क्लास एेटेंड नही कर पाया! 
जब मैं ठीक हो गया  तो एक दीन क्लास गया तभी वो मेरे पास आई और बोली 
आप दो दीनों से क्लास  क्युं नहीं  आये थे! 
तो मैैने अपना कारण बता दीया,और हीम्मत करके उसका नाम पुछा तो वो बोली,आपको नही पता?तो मैंने कहा नहीं फीर वो अपना नाम बता दी.,और जब क्लास में छुट्टी हुई तो मैंने उससे उसका नोटबुक माँग ली, पहले तो वो कुछ सोची फीर बोली , कल आयियेगा ना , मैंने धीरें से कहा हाँ, वो फीर बोल पडी पक्का आयियेगा ना , मैं सोच में पड गया की नोटबुक माँगकर कोई गलती तो नही कर दी, फीर वो बोली क्या हुआ , मैंने कहा यकीन नही है, वो कुछ नही बोली, जब मैं उसकी नोटबुक लेकर  जाने लगा, तो वो बोली  '' हाँ , यकीन है, शायद खुद से ज्यादा, और जोर-जोर से हंसने लगी! 
फीर एक दीन ना जाने क्युं , वो अचानक क्लास आना बंद कर दी , और कुछ दिन बाद हमारी कोर्स हीं खत्म हो गई! 
मेरे लिए उसकी बातें कभी खत्म ना होने वाली याद बनकर रह गई! 
मैं आज भी जब लेपटॉप या कंप्युटर चलाता हुँ तो  मुझे उसकी याद आती है,क्योकि मुझे उम्मीद है, कि इक-ना-इक दीन वो जरूर मिलेगी!